
New Delhi : सभापति ने कहा, ” सदस्यगण, श्रद्धा और गर्व की गहरी अनुभूति से परिपूर्ण हृदय के साथ, हम आज अपने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह मात्र एक गीत नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र के दिल की धड़कन है- यह असंख्य माताओं की अनकही प्रार्थना, उत्पीड़ितों की शांत आशा, और उन लोगों का अडिग साहस है जिन्होंने कभी स्वतंत्रता का सपना देखने का साहस किया था।
इसकी रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने तब की थी जब हमारी मातृभूमि पर औपनिवेशिक शासन का दबाव था। यह गीत शीघ्र ही उन लाखों लोगों के दिल की धड़कन बन गई जो स्वतंत्रता के लिए तरस रहे थे। धर्म, भाषा और भूगोल की सीमाओं से परे, इस गीत ने पूरे देश को एक पवित्र भावना या यों कहें कि मातृभूमि के प्रति प्रेम से सम्बद्ध कर दिया।
असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के लिए ‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं था, बल्कि यह उनके दिलों से निकली अंतिम पुकार थी जब वे निडर होकर फांसी के तख्ते की ओर बढ़ रहे थे, उनकी आत्मा एक स्वतंत्र भारत के सपने से प्रदीप्त थी जहाँ हर नागरिक सम्मान और गौरव के साथ जी सके।
उन्होंने आगे कहा, “आज हम शपथ लें कि ईमानदारी से सेवा करेंगे, एक राष्ट्र, एक लोग के रूप में एक साथ खड़े रहेंगे और गर्व के साथ उद्घोषणा करेंगे — वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम।” सभापति ने मंत्री अमित शाह को चर्चा आरंभ करने के लिए सादर आमंत्रित किया।





