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नई दिल्ली: दीये -पटाखे -कुकर की चपेट में आई दिल्ली

नई दिल्ली: -घायल लोगों में 4 माह के बच्चे से 60 साल के बुजुर्ग तक शामिल

-कुकर ब्लास्ट और जलने के चलते महज 5 अस्पतालों में पहुंचे 900 से अधिक मरीज

नई दिल्ली, 21 अक्तूबर: तेज धमाके, झिलमिलाती रोशनी और आतिशबाजी जहां दीपोत्सव के हर्ष और उत्साह में इजाफा करते हैं। वहीं हल्की सी असावधानी हंसते -खेलते परिवार के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। सोमवार की रात राजधानी दिल्ली में सैकड़ों लोग पटाखों और दीयों से झुलसकर घायल हो गए। जिनमें से अधिकांश को अस्पतालों से छुट्टी मिल गई लेकिन 50 से ज्यादा लोग अब भी भर्ती हैं।

एम्स दिल्ली के प्लास्टिक, रिकंस्ट्रक्टिव और बर्न सर्जरी विभाग के मुताबिक 19 से 21 अक्तूबर के बीच कुल 60 जलने के मामले सामने आए। इनमें से 33 केस दीपावली की रात दर्ज किए गए। सबसे अधिक प्रभावित आयु वर्ग 20 से 40 वर्ष रहा, जिनकी संख्या 27 थी। 10 से 20 वर्ष के 23 युवा भी झुलसे, जबकि एक चार माह का शिशु भी हादसे का शिकार हुआ। एम्स में कुल 29 मरीज भर्ती किए गए, जिनमें से 10 आईसीयू में और 19 सामान्य वार्ड में हैं। एचओडी डॉ. मनीष सिंघल ने बताया कि तीन मरीजों की हालत अभी भी नाज़ुक है। इनमें एक इलेक्ट्रिक बर्न, एक पोटाश ब्लास्ट और एक फ्लेम-इनहेलेशन से झुलसे हैं।

एम्स में दर्ज 60 मामलों में से 57 दिल्ली से, 3 एनसीआर से और एक एनसीआर से बाहर के क्षेत्र से है। 48 मरीज पटाखों से, 7 पोटाश ब्लास्ट से और 4 दीयों से जलने के कारण घायल हुए। आग व धमाकों से झुलसे मरीजों में 16 की आंखों पर असर पड़ा जबकि 48 मरीजों के हाथों में चोटें आईं, जिनमें से 13 मरीजों के अंगूठे या उंगली जैसे धमाके से अंग उड़ गए। इस दौरान कुल 23 सर्जरी (10 बड़ी और 13 छोटी) की गईं। राहत की बात यह रही कि अब तक किसी की मौत नहीं हुई है।

सफदरजंग अस्पताल में 129 मामले दर्ज
सफदरजंग अस्पताल में दीपावली के दो दिनों (19 से 21 अक्तूबर) के दौरान 129 मरीज पहुंचे। इनमें से केवल दीपावली की रात ही 113 केस सामने आए, जिनमें 103 पटाखों से, 10 दीयों से और 8 सर्जिकल कारणों से जलने वाले थे। अस्पताल में 18 मरीजों को भर्ती किया गया, बाकी का इलाज ओपीडी में हुआ। बर्न विभाग की एचओडी डॉ सुजाता साराबाही ने बताया कि हर साल दीपावली पर बर्न यूनिट में मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। खुशियों का त्योहार अक्सर दर्द में बदल जाता है, जब सुरक्षा के नियमों की अनदेखी होती है।

जीटीबी पहुंचे घायल मरीजों में एक की मौत
जीटीबी अस्पताल के एएमएस डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया, 20 अक्तूबर सुबह 9 बजे से 21 अक्तूबर तक कुल 682 मरीज देखे गए, जिनमें एमएलसी मामलों की संख्या 103, बर्न मरीज 37, आंख के मरीज 28 और गैर एमएलसी मामलों की संख्या 97 रही। विशेष रूप से बर्न वार्ड में छह मरीज भर्ती किए गए। इसमें 50 वर्षीय अनु और 32 वर्षीय लाडू दीया जलने के मामलों में शामिल हैं। बच्चों में अली हुसैन (9) मानसी (8) और गोलू (14) पटाखों से जल गए। 59 वर्षीय जरिना कुकर ब्लास्ट से घायल हो गई। एक अन्य घटना में लोनी, यूपी निवासी मुकेश (36) की मौत हो गई, जिसे जली हुई अवस्था में अस्पताल लाया गया था। मृतक मुकेश की मौत के कारणों की जांच की जा रही है। डॉ कुमार के मुताबिक अस्पताल ने सभी मरीजों का समुचित इलाज और देखभाल सुनिश्चित की।

आरएमएल और लोकनायक में भी पहुंचे जले-झुलसे मरीज
आरएमएल अस्पताल में 20 अक्तूबर को कुल 58 ओपीडी मरीज देखे गए, जिनमें 22 बच्चे शामिल थे। बर्न विभाग के एचओडी डॉ समीक भट्टाचार्य ने बताया कि अधिकांश मरीज 20-30 प्रतिशत तक जले या झुलसे थे। अस्पताल ने 10 मरीजों को भर्ती किया। लोकनायक अस्पताल के एएमएस डॉ प्रफुल्ल कुमार के मुताबिक यहां कुल 13 मरीज आए, जिनमें से 8 को भर्ती किया गया और 5 मरीजों को मरहम-पट्टी के बाद छुट्टी दे दी गई। मंगलवार को यानी 21 अक्तूबर को आरएमएल और लोकनायक अस्पताल में और 5-5 मरीज जले-झुलसे लाए गए।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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